प्रेरणा स्रोत
परम पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
नारी शरीर मिलने से अपने को अबला मानती हो? लघुताग्रंथि में उलझकर परिस्थितियों में पीसी जाती हो? अपना जीवन-दीन बना बैठी हो? तो अपने भीतर सुषुप्त आत्मबल को जगाओ। शरीर चाहे स्त्री का हो चाहे पुरुष का। प्रकृति के साम्राज्य में जो जीते हैं, अपने मन के गुलाम होकर जो जीते हैं, वे स्त्री हैं और प्रकृति के बन्धन से पार अपने आत्मस्वरूप की पहचान जिन्होंने कर ली, अपने मन की गुलामी की बेड़ियाँ तोड़कर जिन्होंने फेंक दी हैं वे पुरुष हैं। स्त्री या पुरुष शरीर व मान्यताएँ होती हैं, तुम तो शरीर से पार निर्मल आत्मा हो।
जागो, उठो…. अपने भीतर सोये हुए आत्मबल को जगाओ। सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो। आत्मा-परमात्मा में अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन अबला मान बैठी तो जगत में ऐसी कोई सत्ता नहीं है जो तुम्हें ऊपर उठा सके। अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गयी तो तीनों लोकों में भी ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके।
ब्रह्मसंदेश
नारी शरीर मिलने से अपने को अबला मानती हो ? लघुताग्रंथि में उलझकर परिस्थितियों में पीसी जाती हो ? अपना जीवन-दीन बना बैठी हो ? तो अपने भीतर सुषुप्त आत्मबल को जगाओ । शरीर चाहे स्त्री का हो चाहे पुरुष का । प्रकृति के साम्राज्य में जो जीते हैं, अपने मन के गुलाम होकर जो जीते हैं, वे स्त्री हैं और प्रकृति के बन्धन से पार अपने आत्मस्वरूप की पहचान जिन्होंने कर ली, अपने मन की गुलामी की बेड़ियाँ तोड़कर जिन्होंने फेंक दी हैं वे पुरुष हैं । स्त्री या पुरुष शरीर व मान्यताएँ होती हैं, तुम तो शरीर से पार निर्मल आत्मा हो ।
जागो, उठो…. अपने भीतर सोये हुए आत्मबल को जगाओ । सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो । आत्मा-परमात्मा में अथाह सामर्थ्य है । अपने को दीन-हीन अबला मान बैठी तो जगत में ऐसी कोई सत्ता नहीं है जो तुम्हें ऊपर उठा सके । अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गयी तो तीनों लोकों में भी ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके ।
पूज्य बापूजी का उद्घोष – “सबका मंगल सबका भला”
ब्रह्मसंदेश
नारी शरीर मिलने से अपने को अबला मानती हो ? लघुताग्रंथि में उलझकर परिस्थितियों में पीसी जाती हो ? अपना जीवन-दीन बना बैठी हो ? तो अपने भीतर सुषुप्त आत्मबल को जगाओ । शरीर चाहे स्त्री का हो चाहे पुरुष का । प्रकृति के साम्राज्य में जो जीते हैं, अपने मन के गुलाम होकर जो जीते हैं, वे स्त्री हैं और प्रकृति के बन्धन से पार अपने आत्मस्वरूप की पहचान जिन्होंने कर ली, अपने मन की गुलामी की बेड़ियाँ तोड़कर जिन्होंने फेंक दी हैं वे पुरुष हैं । स्त्री या पुरुष शरीर व मान्यताएँ होती हैं, तुम तो शरीर से पार निर्मल आत्मा हो ।
जागो, उठो…. अपने भीतर सोये हुए आत्मबल को जगाओ । सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो । आत्मा-परमात्मा में अथाह सामर्थ्य है । अपने को दीन-हीन अबला मान बैठी तो जगत में ऐसी कोई सत्ता नहीं है जो तुम्हें ऊपर उठा सके । अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गयी तो तीनों लोकों में भी ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके ।
Yoga
मनुष्य में असीम योग्यताएँ छुपी हुई हैं। आप अपनी योग्यताओं को विकसित कर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं । इसके लिए आवश्यक है – स्वस्थ व बलवान शरीर, कुशाग्र बुद्धि, उत्तम स्मरणशक्ति, एकाग्रता, स्वभाव में शीतलता, विकसित मनोबल एवं आत्मबल । नियमित योगासन एवं प्राणायाम के विधिवत् अभ्यास से इन सभी की प्राप्ति में बहुत मदद मिलती है ।
Press coverage
Rakshabandhan karyakram
महिला उत्थान मंडल द्वारा देशभर में C.R.P.F., B.S.F., पुलिस फोर्स, वरिष्ठ अधिकारियों, व कैदी बन्धुओं आदि के बीच मनाया गया रक्षाबंधन कार्यक्रम ।
Yoga
मनुष्य में असीम योग्यताएँ छुपी हुई हैं। आप अपनी योग्यताओं को विकसित कर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं । इसके लिए आवश्यक है – स्वस्थ व बलवान शरीर, कुशाग्र बुद्धि, उत्तम स्मरणशक्ति, एकाग्रता, स्वभाव में शीतलता, विकसित मनोबल एवं आत्मबल । नियमित योगासन एवं प्राणायाम के विधिवत् अभ्यास से इन सभी की प्राप्ति में बहुत मदद मिलती है ।