पर्यावरण सुरक्षा
वास्तव में प्रकृति और हम एक-दूसरे से जुड़े हैं । हम जो श्वास छोड़ते हैं वह वनस्पतियाँ लेती हैं और वनस्पतियाँ जो श्वास छोड़ती हैं वह हम लेते हैं । हमारे भाई-बंधु हैं वनस्पतियाँ ।
हम एक दिन में लगभग 1-1.5 किलो भोजन करते हैं, 2-3 लीटर पानी पीते हैं लेकिन 21600 श्वास लेते हैं । उसमें 11 हजार लीटर हवा लेते छोड़ते हैं, जिससे हमें 10 किलो भोजन का बल मिलता है । अब यह वायु जितनी गंदी (प्रदूषित) होती है, उतना ही लोगों का (वायुरूपी) भोजन कमजोर होता है तो स्वास्थ्य भी कमजोर होता है । अतः नीम, पीपल, आँवला, तुलसी वटवृक्ष और दूसरे जो भी पेड़ हितकारी हैं वे लगाएँ और हानिकारक पेड़-नीलगिरी, अंग्रेजी बबूल व गाजर-घास हटाएँ ।
प्रकृति के दुश्मन –
- नीलगिरी (सफेदा) के पेड़ की बड़ी खतरनाक, हानिकारक हवा होती है । ये वायु को गंदा करते हैं, जीवनीशक्ति हरते हैं । पानी का स्तर नीचे गिराकर भूमि को बंजर बना देते हैं ।
- अंग्रेजी बबूल हानिकारक वृक्ष है । यह काँटेदार पेड़ हवामान को अशुद्ध करता है, पानी का स्तर नीचे गिरा देता है । बबूल का धुआँ भी नुकसानकारक है ।
- गाजर-घास एक ऐसी हानिकारक वनस्पति है जिसे न गाय खाती है, न भैंस, न बकरी और न ही गधा खाता है । यह खेतों में तेजी से फैलती है । इससे हजारों एकड़ जमीन खराब हो जाती है ।
इस संदर्भ पर प्रकाश डालते हुए पूज्य बापूजी कहते हैं -
“नीलगिरी और बबूल (कीकर) हटाओ (ये वृक्षवायु को गंदा करते हैं, जीवनीशक्ति हरते हैं), पीपल,तुलसी, नीम, आँवला बढ़ाओ। ये वृक्ष लगाने सेआपके द्वारा प्राणिमात्र की बड़ी सेवा होगी। खुद वृक्षलगाना और दूसरों को प्रेरित करना भी एक सेवा है।हमने पहाड़ी खरीद के पर्यावरण की सेवा में पचासोंहजार पेड़ लगाये हैं। राष्ट्रीय कर्तव्य है पर्यावरण के लिए पेड़ लगाना। हम पेड़ को प्रेम करते हैं और पेड़ हमारे स्वास्थ्य के लिए और पर्यावरण के लिए वरदान हैं, आशीर्वाद हैं।”
पूज्य गुरुदेव के इन्हीं वचनों का अनुसरण करते हुए महिला उत्थान मंडल द्वारा समय-समय पर पर्यावरण सुरक्षा अभियान किया जाता है ।
कार्यक्रम के मुख्य बिंदु -
- ब्रह्मज्ञानी महापुरुष पूज्य बापूजी के सत्संग द्वारा उनमें सद्विचारों, सद्गुणों, सद्भावों का जागरण ।
- भगवन्नाम कीर्तन द्वारा दी जाती हैं तन-मन-मति को स्वस्थ व प्रसन्न रखने की कुंंजियाँ ।
- साहित्यों का मानस पर गहन असर पड़ता है । अतः सत्साहित्य वितरण कर उनके मानसिक परिवर्तन का प्रयास ।
- फल-मिठाई आदि का प्रसांद रूप में वितरण ।
- रक्षाबंधन पर्व के निमित्त जेलों में रक्षाबंधन कार्यक्रमों का आयोजन ।