दिव्य शिशु संस्कार अभियान
तेजस्वी, स्वस्थ और दिव्य संतान हेतु
सुसंस्कार एक प्रकार से ऐसे छोटे-से बीज हैं जो सही समय और सही अवस्था में यदि शिशु के हृदयरूपी भूमि में पड़ जायें तो उसके जीवन में सद्गुणों को फैलाकर विशाल वटवृक्ष-सा उदात्त व्यक्तित्व घर-परिवार व समाज को देते हैं । शिशु में सुसंस्कारों का कार्य गर्भावस्था से ही प्रारंभ करना चाहिए क्योंकि इस समय माँ का हर क्रियाकलाप, अच्छे-बुरे विचार, कार्य एवं शिशु के प्रति उसके भाव, चिंतन, संस्कार शिशु के हृदय पर गहरा असर करते हैं, तो उसके भविष्य की भूमिका तैयार करते हैं । अतः प्रत्येक माँ को इस स्वर्णिम काल का लाभ उठाकर अपने शिशु में उत्तम संस्कारों का सिंचन कर उसके जीवन को दिव्यता की ओर अग्रसर करना चाहिए ।
गर्भस्थ शिशु पर संस्कारों का प्रभाव
हमारे ऋषि-मुनियों ने अनादिकाल से यह बताया हुआ है कि बालक को गर्भावस्था व शैशवकाल में जिस प्रकार के संस्कार मिलते हैं, आगे चलकर वह वैसा ही बन जाता है ।
जैसे राक्षस हिरण्यकशिपु की पत्नी कयाधू को सगर्भावस्था के दौरान देवर्षि नारदजी के सत्संग से भक्ति के संस्कार मिले तो गर्भस्थ बालक आगे चलकर महान भगवद्भक्त, ज्ञानी व कुशल शासकप्रह्लाद हुआ । इसी प्रकार अभिमन्यु ने माँ के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने का ज्ञान पा लिया था । इतिहास में ऐसे और भी कई उदाहरण हैं ।
अब आधुनिक विज्ञान भी हमारे ऋषियों की बात को स्वीकार कर रहा है । शोधकर्ताओं के अनुसार गर्भावस्था में शिशु व माता का बहुत ही प्रगाढ़ संबंध होता है । इस दौरान स्वाभाविक ही माता के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य एवं आहार-विहार का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है ।
अतः दिव्यता से संपन्न ओजस्वी-तेजस्वी, सुंदर व होनहार संतान के लिए गर्भावस्था में उचित आहार-विहार, आचरण संबंधी जानकारी हर महिला को होना अति आवश्यक है । गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु गर्भवती माताओं के लिए ‘गर्भ संस्कार केंद्रों’ का शुभारंभ किया गया है ।
गर्भ संस्कार केंद्र के मुख्य आकर्षण
- माँ एवं शिशु की रक्षा हेतु ‘रक्षाकवच’ कैसे बनायें ?
- कैसे करें गर्भस्थ शिशु में दिव्य संस्कारों का सिंचन ?
- सगर्भावस्था के दौरान कैसा रखें आचरण?
- हृष्ट-पुष्ट, सुंदर और दिव्य गुणों से युक्त संतान की प्राप्ति में सहायक मासानुसार विशेष आहार-विहार की जानकारी ।
- प्राकृतिक रीति से (बिना ऑपरेशन) आसानी से कैसे हो प्रसव ?
- कैसे करें नवजात शिशु का स्वागत ?
- प्रसव के पश्चात् शिशु की उत्तम सँभाल संबंधी मार्गदर्शन ।
- गर्भ में ही शिशु में दैवी सामर्थ्य की जागृति ।