रसप्रद, आनंददायक पाठ
प्रतिदिन भोजन से पहले ‘श्री आशारामायणजी की कहीं से भी शुरुआत करके कुछ पंक्तियाँ बोली जायें और बीच-बीच में कभी ‘नमः पार्वतिपतये हर हर महादेव, कृष्ण-कन्हैया लाल की जय, रणछोड़राय की जय !’ का उदघोष करें तो कभी ‘ॐ आनंद… ॐ माधुर्य… ॐ शांति…. ॐ हरि… ॐ गुरु…’ आदि बोलकर हास्य-प्रयोग करें तो कभी ‘जोगी रे…’ भजन की कुछ पंक्तियाँ गायें । ऐसा करने से तुम्हें बहुत आनंद आयेगा । यह रसप्रद प्रयोग देशव्यापी, विश्वव्यापी हो जायेगा ।