सर्वांगासन
क्या आप अपने नेत्रों और मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाना चाहते हैं? क्या आप अपनी शक्ति को ऊर्ध्वगामी बनाना चाहते हैं ? हाँ तो आप नित्य सर्वांगासन का अभ्यास कीजिये।
परिचयः
इस आसन में समग्र शरीर को ऊपर उठाया जाता है। उस समय शरीर के सभी अंग सक्रिय रहते हैं। इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं।
लाभः
यह आसन मेधाशक्ति को बढ़ाने वाला व चिरयौवन की प्राप्ति कराने वाला है। विद्यार्थियों को तथा मानसिक, बौद्धिक कार्य करने वाले लोगों को यह आसन अवश्य करना चाहिए। इससे नेत्रों और मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। इस आसन को करने से ब्रह्मचर्य की रक्षा होती है व स्वप्नदोष जैसे रोगों का नाश होता है। सर्वांगासन के नित्य अभ्यास से जठराग्नि तीव्र होती है, त्वचा लटकती नहीं तथा झुर्रियाँ नहीं पड़तीं।
विधिः
बिछे हुए आसन पर लेट जायें। श्वास लेकरभीतर रोकें व कमर से दोनों पैरों तक का भाग ऊपर उठायें। दोनों हाथों से कमर को आधार देते हुए पीठ का भाग भी ऊपर उठायें। अब सामान्य श्वास-प्रश्वास करें। हाथ की कोहनियाँ भूमि से लगी रहें व ठोढ़ी छाती के साथ चिपकी रहे। गर्दन और कंधे के बल पूरा शरीर ऊपर की ओर सीधा खड़ा कर दें। दृष्टि पैर के दोनों अँगूठों पर हो। गहरा श्वास लें, फिर श्वास बाहर निकाल दें। श्वास बाहर रोक कर गुदा व नाभि के स्थान को अंदर सिकोड़ लें व ‘ॐ अर्यमायै नमः’ मंत्र का मानसिक जप करें। अब गुदा को पूर्व स्थिति में लायें। फिर से ऐसा करें, 3 से 5 बार ऐसा करने के बाद गहरा श्वास लें। श्वास भीतर भरते हुए ऐसा भाव करें कि ‘मेरी ऊर्जाशक्ति ऊर्ध्वगामी होकर सहस्रार चक्र में प्रवाहित हो रही है। मेरे जीवन में संयम बढ़ रहा है। फिर श्वास बाहर छोड़ते हुए उपर्युक्त विधि को दोहरायें। ऐसा 5 बार कर सकते हैं। सर्वांगासन की स्थिति में दोनों पैरों को जांघों पर लगाकर पद्मासन किया जा सकता है।
समयः
सामान्यतः एक से पाँच मिनट तक यह आसन करें। क्रमशः 15 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
रोगों में लाभः
थायराइड नामक अंतः ग्रंथि में रक्त संचार तीव्र गति से होने लगता है, जिससे थायराइड के अल्प विकासवाले रोगी के लाभ होता है।
सावधानीः
थायराइड के अति विकास वाले, उच्च रक्तचाप, खूब कमजोर हृदयवाले और अत्यधिक चर्बीवाले लोग यह आसन न करें।