इमली का शरबत
- बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते ही नहीं हैं । दूषित तत्त्वों, गंदे पानी एवं अभक्ष्य पदार्थों के रासायनिक मिश्रण से तैयार किये गये अपवित्र बाजारू ठंडे पेय हमारी तंदरुस्ती एवं पवित्रता का घात करते हैं । इसलिए उनका त्याग करके हमें आयुर्वेद एवं भारतीय संस्कृति में वर्णित पेय पदार्थों से ही ठंडक प्राप्त करनी चाहिए । यहाँ कुछ शरबतों की निर्माण-विधि एवं उपयोग की जानकारी दी जा रही है –
इमली का शरबत
- साफ एवं अच्छे गुणवाली 1 किलो इमली लेकर एक पत्थर के बर्तन में दो किलो पानी में 12 घंटे भिगो दें । उसके बाद इमली को हाथ से खूब मसलकर पानी के साथ एकरस कर दें । फिर पानी को मिट्टी के बर्तन में छान लें । उस पानी को कलई किये हुए अथवा स्टील के बर्तन में डालकर उभार आने तक उबालें । फिर उसमें मिश्री डालकर तीन तार की चासनी बनाकर काँच की बरनी में भर लें ।
उपयोगः
- पित्त प्रकृतिवाले व्यक्ति को रात्रि में सोते समय देने से शौच साफ होगा ।
- गर्मी में सुबह पीने से लू लगने का भय नहीं रहता ।
- कब्जियत के रोगी के लिए इसका सेवन लाभदायक है ।
- पके हुए कैथे(कबीट) का शरबतःयह भी इमली के शरबत की तरह ही बनाया जाता है ।
- यह शरबत शरीर की गर्मी की दूर करने में अत्यंत उपयोगी है । इसके अलावा पित्तशामक एवं रूचिकर भी है ।