पारिवारिक एकता हेतु महत्वपूर्ण : ब्रह्मस्थान
भूखंड को लम्बाई व चौड़ाई में आठ- आठ समान भागों में विभक्त करने से बननेवाले ६४ आयतों में से केंद्रीय ४ आयतो से बना भूभाग ‘ब्रह्मस्थान’ (ब्रह्मस्थल) कहलाता है |
जिस तरह शरीर में सौर केंद्र ( नाभि से कुछ ऊपर स्थित नाड़ी- जाल) का महत्व है, उसी तरह वास्तु में ब्रम्हस्थान का महत्व है | वास्तु का यह भाग ब्रम्हाजी का स्थान माना गया है | ब्रह्मस्थान परिवार का एक उपयोगी मिलन- स्थल है, जो परिवार को एक डोर में बाँधे रखता है | यह भवन के फेफडों की तरह है जिससे भवन साँस लेता है | यहाँ आकाश तत्व की प्रचुरता रहे इस हेतु इसे पूर्ण रूप से खाली रखना चाहिए | इसके मध्य में कोई अवरोध या खम्बा नहीं होना चाहिए | सामान्यत: इसे आँगन के रूप में जाना जाता है | इससे होकर आंतरिक्ष व अन्य ऊर्जा भवन में प्रवेश करती है | स्थान की कमी एवं सुरक्षा की दृष्टी से छत पर इसे खुले स्थान पर लोहे की ग्रिल लगवाकर वर्षा से सुरक्षा के लिए शेड इस ढंग से बनाया जा सकता है की वर्षा से बचाव हो परंतु हवा का प्रवाह व रोशनी लगातार भवन में प्रवेश करती रहे |
आकाश तत्व आपकी आंतरिक शक्ति से जुडा है | इसलिए यदि ब्रह्मस्थान की चारों सीमारेखाओं की अपेक्षा उसका केंद्रीय भाग नीचा हो या केंद्रीय भाग पर कोई वजनदार वस्तु रखी हुई हो तो इसको बहुत अशुभ व अनिष्टकारी माना जाता है | इससे आपकी आंतरिक शक्ति में कमी आ सकती है व इसे संततिनाशक भी बताया गया है | इससे स्वास्थ- हानि, धन- हानि तथा विशेषकर पेटसंबंधी रोगों की संभावना बढ़ जाती है |
इससे विपरीत ब्रह्मस्थान का केंद्रीय स्थान ऊँचा हो और इस स्थान की चारों सीमा रेखाओं तक ढलान हो तो वह ‘कूर्मपृष्ठ भूमि’ कहलाती है | यह उत्साह धन-धान्य, स्वास्थ तथा सुख-समृद्धि देनेवाला है | यदि चारों सीमा रेखाओं की तरफ ढलान न होकर केवल इशान, पूर्व या उत्तर में ढलान हो तो वह वास्तुदोष नहीं माना जायेगा अपितु शुभ ही है |
ब्रह्मस्थान में क्या निर्माण करने से क्या लाभ व हानियाँ है वह नीचे दिया गया है |
बैठक कक्ष – परिवार के सदस्यों में सामंजस्य
भोजन कक्ष – गृहस्वामी को समस्याएँ, गृहनाश
सीढ़िया – मानसिक तनाव व धन- नाश
लिफ्ट – गृहनाश
शौचालय – धन हानि एवं स्वास्थ हानि
परिभ्रमण स्थान – उत्तम
इस भाग में शौचालय, रसोईघर, शयनकक्ष तथा तहखाना कदापि न बनायें | भूमिगत कुआँ, सेप्टिक टैंक, पानी की टंकी, तालाब बोरवेल अथवा किसी भी प्रकार का गड्ढा भी न रखवायें |
ब्रह्मस्थल में किसी भी प्रकार का वास्तुदोष रहने पर वह उस भवन के निवासीयों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है | ब्रह्मस्थान में गड्ढा, खम्बा या कुआँ आदि किसी भी प्रकार का निर्माण न होना ही श्रेयस्कर है | उस पर छत बनायी जा सकती है परंतु उसका आधार ब्रह्मस्थान में नहीं होना चाहिए |