विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बसु
ऐसे ही विश्वप्रसिद्ध जगदीशचन्द्र बसु, जो जीव-विज्ञान और भौतिक विज्ञान के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, उनकी माँ ने कहाः “बेटा ! संध्या हो गयी है । इस पेड़ की नींद खराब न करो ।” माँ ने सत्संग में सुनी हुई बातें बतायीं ।
बालक ने बड़े होने पर वैज्ञानिक ढंग से खोज कर के साबित कर दिखाया कि पेड़-पौधों को भी नींद आती है तथा सुख-दुःख होता है । माली के मन में पौधों को पानी पिलाने का भाव आते ही पौधे खुश हो जाते हैं और पेड़ काटने वाले को देखकर पेड़-पौधे कम्पायमान होते हैं, डरते हैं । सूक्ष्म खोज के धनी जगदीशचन्द्र बसु की सत्संगी माँ को धन्यवाद जाता है ।
पूज्य बापू जी कहते हैं – “बिना आध्यात्मिक उन्नति के भौतिक उन्नति आतिशबाजी के अनार जैसी है । जैसे आतिशबाजी का अनार दूर से सुंदर-सुहावना दिखाई देता है पर निकट जाओ तो जला देता है, ऐसे ही भौतिक सुख-सुविधाओं पर अत्यधिक निर्भरता अशांति, उद्वेग का कारण बन जाती है । आध्यात्मिक विद्या में आगे बढ़ेंगे तो ऐहिक चीजें तो पाले हुए कुत्ते की तरह पीछे-पीछे आती हैं ।”
विद्यार्थियों को ओजस्वी-तेजस्वी, मेधावी तथा महान बनाना हो तो पूज्य बापू जी जैसे ब्रह्मज्ञानी महापुरुष के सत्संगों व सत्साहित्य का लाभ दिलाना चाहिए, जिससे उनके द्वारा बतायी गयीं कुंजियों को अपने जीवन में अपनाकर विद्यार्थी महान बन सकें । पूज्यश्री की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में चलाये जा रहे गुरुकुलों व बाल संस्कार केन्द्रों एवं विद्यार्थी उज्जवल भविषय निर्माण शिविरो में उन्हें भेजना चाहिए । चारित्र्य, नैतिकता और आध्यात्मिकता बढ़ाने वाले आश्रम के मासिक प्रकाशन ‘ऋषि प्रसाद’, ‘लोक कल्याण सेतु’ एवं मासिक डी.वी.डी. मैगजीन ‘ऋषि दर्शन’ का लाभ भी लेना व औरों को दिलाना चाहिए ।