माँ बनो तो आदर्श माता मदालसा जैसी
मदालसा देवी कहती हैं – “एक बार जो मेरे उदर से गुजरा व यदि दूसरी स्त्री के उदर में जाय, मुक्त न होकर दूसरा जन्म ले तो मेरे गर्भधारण को धिक्कार है !”
वे जब अपने पुत्रों को पालने में सुलाती थीं, तब उनको आध्यात्मिक ज्ञान की लोरियाँ सुनाती थीं । जैसेः
शुद्धोऽसि बुद्धोऽसि निरंजनोऽसि संसारमायापरिवर्जितोऽसि ।
संसारस्वपनं त्यज मोहनिद्रां मदालसा वाक्यमुवाच पुत्रम् ।।
‘हे पुत्र, तू शुद्ध है, बुद्ध है, निरंजन है, संसार की माया से रहित है । यह संसार स्वपनमात्र है । उठ, जाग, मोहनिद्रा का त्याग कर ! तू सच्चिदानंद आत्मा है ।’
इन आर्य महिला ने, आदर्श माता ने अपने सभी पुत्रों को आत्मज्ञान से सम्पन्न बनाकर संसार-सागर से पार करा दिया ।
महिला बनो तो ऐसी बनो । बच्चों को आत्मज्ञा की लोरियाँ सुनाओ । घर में भी आत्मज्ञान की चर्चा करो । सुख-दुःख आये तो आत्मज्ञान की निगाहों से निहारो । इस संसार से कभी प्रभावित मत होओ । अपने परमात्मा की मस्ती में मस्त रहो । ॐ….. ! ॐ….. !!