ब्रह्मचर्य, संयम है बड़ा निराला
ब्रह्मचर्य संयम बड़ा निराला, सद्गुण सद्भाव बढ़ानेवाला,
न भय, कमजोरी मन में, यौवन-धन का है रखवाला ।
संयम से होता मन निश्चल, बढ़े ओज-तेज, बुद्धि-मनोबल,
स्वस्थ, शांत चित्त, तन मन निर्मल, जीवन बगिया मेहकानेवाला ।।
सदाचार सुमति से बढ़े योग्यता, संकल्प अचल हो मिले सफलत,
दृढ़ता, निर्भयता, हो प्रसन्नता, कुमार्ग, कुसंग से बचानेवाला ।
संयम श्रेष्ठ जीवन की जान, ऋषि-मुनि-संतो की पहचान,
शील, संतोष, अमृत की खान, चित्-शक्ति को जगानेवला ।।
संयम से जगे परम विश्वास, हो एकाग्रता, अनासक्ति का विकास,
मिटे सहेज ही व्यर्थ विलास, सत्यस्वरूप जगानेवाला ।
ब्रह्मचर्य से हो चरित्र महान, गुरूज्ञान-भक्ति से हो कल्याण,
‘साक्षी’ मिटे अहम्-अज्ञान, उत्साह उमंग बढ़ानेवाला ।।