प्रभो अपने मन में बसाऊं तुम्हींको…
प्रभो अपने मन में बसाऊं तुम्हींको ।
हृदय में हृदय धन बिठाऊं तुम्हींको ।।
यही एक स्वीकार मेरी विनय हो ।
विमल हो मलिन मन सदा ध्यान लय हो ।।
तुम्हींमें हमारा ये जीवन अभय हो ।
स्वाचित्त चेतना वृत्ति मति प्रेममय हो ।।
हर इक श्वास से अब बुलाऊं तुम्हींको ।
प्रभो अपने…
दिखाया है मुझको किनारा तुम्हींने ।
दिया मुझ नीबल¹ को सहारा तुम्हींने ।।
सुपथ में कुपथ से पुकारा तुम्हींने ।
मुझे घोर दुःख से उबारा तुम्हींने ।।
जगत में दयानाथ पाऊं तुम्हींने ।
प्रभो अपने…
कहीं भी रहूं पर रहे ध्यान तुम पर ।
निकलते रहें यह विरह गान तुम पर ।।
रमो प्रान में तुम रमे प्रान तुम पर ।
निरंतर रहे ज्ञान अवधान² तुम पर ।।
सुनूं मैं तुम्हारी सुनाऊं तुम्हींको ।
प्रभो अपने…
तुम्हीं एक हो जीवनाधार मेरे ।
परम देवता पूज्य साकार मेरे ।।
तुम्हीं एक इस पार उस पार मेरे ।
मिले हो मुझे प्रेम अवतार मेरे ।।
पथिक प्राणपति नित्य ध्याऊं तुम्हींको ।
प्रभो अपने मन में बसाऊं तुम्हींको ।।
- – संत पथिकजी
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- निर्बल 2. ध्यान