तुम बुद्धिमान मानव जागो
शुभ अवसर बीते जाते हैं, तुम बुद्धिमान मानव जागो ।
अविवेकी देर लगाते है, तुम बुद्धिमान मानव जागो ।।
वह महादुःखद अज्ञान निशा, जिसमें न सूझती सत्य दिशा ।
इसको सब समझ ना पाते है, तुम बुद्धिमान मानव जागो ।।
ये झूठे दुःख – सुख के सपने, जिनको तुम समझ रहे अपने ।
सब मन के माने नाते हैं, तुम बुद्धिमान मानव जागो ।।
विकारों से जो विरक्त बने, जो सच्चे प्रभु के भक्त बने ।
वे गुरुजन नित्य जगाते है, तुम बुद्धिमान मानव जागो ।।
जो उठते मोह नींद तजकर, चलते शुभ सद्गुण से सजकर ।
वे ‘पथिक’ सुपथ में जाते हैं, तुम बुद्धिमान मानव जागो ।।
- – संत पथिकजी