कितने दिन ?
मानव सोचो जग के सुख का,
विस्तार रहेगा कितने दिन |
सत्कार रहेगा कितने दिन,
यह प्यार रहेगा कितने दिन ||
चाहे पितु हो या माता हो,
पत्नी हो सुत या भ्राता हो |
जिसको अपना कहते उस पर,
अधिकार रहेगा कितने दिन ||
कोई आता कोई जाता,
सबसे थोड़े दिन का नाता |
जिसका भी आश्रय लेते वह,
अधिकार रहेगा कितने दिन ||
जो जग में सच्चे ग्यानी हैं,
परमार्थ तत्व के ध्यानी हैं |
उनसे पूछो मन का माना,
संसार रहेगा कितने दिन ||
तुम प्रेम करो अविनाशी से,
मिल जाओ सब उर वासी से |
ऐ पथिक ! यहाँ मैं- मेरा का,
व्यापार रहेगा कितने दिन ||