सोमवती अमावस्या
सोमवती अमावस्या का पर्व विशेषकर महिलाएं मनाती हैं । इस पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्व है। इस दिन मौन रहकर स्नान करने से हजार गौ-दान का फल होता है । इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी १०८ प्रदक्षिणा करने से पूर्व निम्न प्राथना की जाती है ।
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणौ। अग्रते शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नमः।।
यं दृष्ट्वा मुच्यते रोगं स्पर्शेपापं प्रमुच्यते। यदाश्रितं हि चिरंजीवी त्वम्sश्वत्थां नमाम्यहम्।।
‘हे वृक्षराज ! आप जड़ से ब्रह्मा, मध्य से विष्णु और मस्तक से शिव स्वरूप हो । आपको मेरा नमस्कार है। आप मेरे द्वारा की हुई पूजा को स्वीकार करें और मेरे पापों का हरण करें ।’ जिसे देखने से रोग नष्ट होते हैं व स्पर्श मात्र से पाप तथा जिसके आश्रय में आ जानेमात्र से व्यक्ति चिरंजीवी हो जाता है, ऐसे पीपल को मेरा नमस्कार है।’
१०८ में से ८ प्रदक्षिणा कच्चा सूत पीपल के वृक्ष को लपेटते हुए की जाती है प्रदक्षिणा करते समय १०८ फल पृथक रखे जाते हैं । बाद में ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते है । ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है ।