योगासन क्या है ?
योगासन विभिन्न शारीरिक क्रियाओं और मुद्राओं के माध्यम से तन को स्वस्थ, मन को प्रसन्न एवं सुषुप्त शक्तियों को जागृत करने हेतु हमारे पूज्य ऋषि-मुनियों द्वारा खोजी गयी एक दिव्य प्रणाली है ।
मनुष्य में असीम योग्यताएँ छुपी हुई हैं। आप अपनी योग्यताओं को विकसित कर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं । इसके लिए आवश्यक है – स्वस्थ व बलवान शरीर, कुशाग्र बुद्धि, उत्तम स्मरणशक्ति, एकाग्रता, स्वभाव में शीतलता, विकसित मनोबल एवं आत्मबल । नियमित योगासन एवं प्राणायाम के विधिवत् अभ्यास से इन सभी की प्राप्ति में बहुत मदद मिलती है ।
योगासन करने से पूर्व निम्न बातों का अवश्य रखें ध्यान
स्थानः आसनों का अभ्यास स्वच्छ, हवादार कमरे में करना चाहिए। बाहर खुले वातावरण में भी अभ्यास कर सकते हैं परन्तु आसपास का वातावरण शुद्ध होना चाहिए।
समयः प्रातः काल खाली पेट आसन करना अति उत्तम है। भोजन के छः घंटे बाद व दूध पीने के दो घंटे बाद भी आसन कर सकते हैं।
आवश्यक साधनः गर्म कंबल, चटाई अथवा टाट आदि को बिछाकर ही आसन करें।
स्वच्छताः शौच और स्नान से निवृत्त होकर आसन करें तो अच्छा है।
ध्यान दें– श्वास मुँह से न लेकर नाक से ही लेना चाहिए । आसन करते समय शरीर के साथ जबरदस्ती न करें। धैर्यपूर्वक अभ्यास बढ़ाते जायें।
आसनों की प्रकिया में आने वाले कुछ शब्दों की समझ
रेचक काअर्थ है श्वास छोड़ना ।
पूरक काअर्थ है श्वास भीतर लेना ।
कुम्भक का अर्थ है श्वास को भीतर या बाहर रोक देना। श्वास लेकर भीतर रोकने की प्रक्रिया को आन्तर या आभ्यान्तर कुम्भक कहते हैं। श्वास को बाहर निकालकर फिर वापस न लेकर श्वास बाहर ही रोक देने की क्रिया को बहिर्कुम्भक कहते हैं ।
आवश्यक निर्देश –
- भोजन के छः घण्टे बाद,दूध पीने के दो घण्टे बाद या बिल्कुल खाली पेट ही आसन करें।
- शौच-स्नानादि से निवृत्त होकर आसन किये जाये तो अच्छा है।
- श्वास मुँह से न लेकर नाक से ही लेना चाहिए।
- गरम कम्बल, टाटया ऐसा ही कुछ बिछाकर आसन करें। खुली भूमि पर बिना कुछ बिछाये आसन कभी न करें,जिससे शरीर में निर्मित होने वाला विद्युत-प्रवाह नष्ट न हो जायें।
- आसन करते समय शरीर के साथ ज़बरदस्ती न करें। आसन कसरत नहीं है। अतः धैर्यपूर्वक आसन करें ।
- आसन करने के बाद ठंड में या तेज हवा में न निकलें। स्नान करना होतो थोड़ी देर बाद करें
- आसन करते समय शरीर पर कम से कम वस्त्र और ढीले होने चाहिए।
- आसनकरते-करते औरमध्यान्तरमें और अंतमें शवासनकरके, शिथिलीकरणके द्वाराशरीर के तंगबने स्नायुओंको आराम दें।
- आसनके बादमूत्रत्यागअवश्य करेंजिससे एकत्रितदूषित तत्त्वबाहर निकलजायें।
- आसनकरते समय आसनमें बताए हुएचक्रों परध्यान करने सेऔर मानसिक जपकरने से अधिकलाभ होता है।
- आसन केबाद थोड़ाताजा जल पीनालाभदायक है.ऑक्सिजन औरहाइड्रोजनमें विभाजितहोकर सन्धि-स्थानोंका मल निकालनेमें जल बहुत आवश्यक होता है।
- स्त्रियोंको चाहिए किगर्भावस्थामें तथा मासिकधर्म की अवधिमें वे कोई भीआसन कभी नकरें।
- स्वास्थ्यके आकांक्षीहर व्यक्ति कोपाँच-छः तुलसीके पत्तेप्रातः चबाकरपानी पीना चाहिए।इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है, एसीडीटीएवं अन्यरोगों में लाभहोता है।
योगासन व प्राणायाम से पूर्व शरीर के प्रत्येक अंग से संबंधित सूक्ष्म अथवा यौगिक क्रियाओं का करना आवश्यक है । जिससे शरीर को आसन व प्राणायाम के लिए तैयार होने में सहायता मिलती है ।