सूक्ष्म/यौगिक क्रियाएँ
1. कूदनाः
इसमें दोनों हाथ ऊपर करके पंजों के बल कूदना है ।
लाभः
मन प्रफुल्लित रहता है । शरीर स्वस्थ रहता है । शरीर में प्राण वहन करने वाली बारीक नलिकाओं (नाड़ियों) की संख्या 72000 बतायी जाती है । इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन मुख्य हैं। उनमें भी सुषुम्ना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है । इस प्रयोग से 72 हजार नाड़ियों में से मुख्य नाड़ी सुषुम्ना का मुख खुल जाता है । जिससे ध्यान भजन में मन लगता है ।
2. पैरों की उँगलियों के व्यायामः
प्राथमिक स्थितिः बैठकर हाथों को शरीर से थोड़ा पीछे जमीन पर रखें और शरीर को भी थोड़ा पीछे झुका दें। दोनों पैरों को सामने की ओर जमीन पर सीधा फैला दें। दोनों पैरों के बीच थोड़ा अंतर रखें।
विधिः 1.
प्राथमिक स्थिति में बैठें, फिर दोनों पैरों की उंगलियों को सामने की ओर जितना संभव हो मोड़ें, फिर उसी प्रकार (अपनी ओर) पीछे की ओर मोड़ें। पंजा और टखना हिलाए बिना 10 बार ऐसा करें।
विधिः 2.
प्राथमिक स्थिति में बैठें । फिर उँगलियों को एक-दूसरे से जितना दूर संभव हो तानिये ताकि उनमें तनाव अनुभव होने लगे। अब उंगलियों को पूर्व स्थिति में लाकर आराम दें। ऐसा धीरे-धीरे 10 बार करें। यदि उंगलियों को तानने में कठिनाई हो तो इसमें हाथों की सहायता लें।
लाभः
सायटिका रोग में व घुटने के लिए लाभप्रद है।
3. पैरों के पंजों के व्यायामः
प्रारम्भिक स्थिति में बैठकर दोनों पैरों के पंजों को जितना हो सके धीरे-धीरे सामने की ओर तानें, फिर उनको पीछे की ओर मो़ड़ें । ऐसा 10 बार करें।
4. टखनों के व्यायामः
विधिः 1.
प्रारम्भिक स्थिति में बैठें। अब अपने दायें पैर के पंजे को एड़ी (टखनों) से घड़ी की सुईयों की दिशा में एवं उसकी विपरीत दिशा में घुमायें। फिर दूसरे पैर से भी इसी प्रकार करें । इस समय ध्यान एड़ी पर केन्द्रित रखें और ऐसा अनुभव करें कि आपके अँगूठे और उंगली के बीच एक पेंसिल रखी है, उससे आप एक गोल घेरा बना रहे हैं ।
विधिः 2.
प्रारम्भिक स्थिति में बैठें फिर बायें पैर को घुटनों से मोड़ कर टखने को दाहिने पैर की जंघा पर रखें और बायां हाथ बायें घुटने पर रखें । अब दायें हाथ से बायें पैर की उंगलियों को पकड़ कर बायें पैर को टखने से घड़ी के काँटों की दिशा में एवं विपरीत दिशा में 10 बार गोलाकार घुमायें । बायें पैर के टखने पर मन को एकाग्र करें । यही क्रिया दूसरे पैर से भी करें ।
5. घुटनों के व्यायामः
विधिः1.
प्रारम्भिक स्थिति में बैठें तथा घुटने पर ध्यान केन्द्रित करें। बायें घुटने के नीचे दोनों हाथों की उंगलियाँ आपस में फँसा कर रखें, फिर बायें पैर को घुटने से मोड़ कर जंघा को छाती से सटा लें। सीना तना हुआ रखें । अब घुटने के नीचे के पैर के हिस्से को घड़ी के काँटों की दिशा में तथा विपरीत दिशा में 10-10 बार गोलाकार घुमायें । अब प्रारम्भिक स्थिति में वापिस आ जायें और दूसरे पैर से भी यही क्रिया करें ।
विधिः2.
प्रारम्भिक स्थिति में बैठें तथा कूल्हे (नितंब) और घुटने पर ध्यान केन्द्रित करें । दाहिने घुटने के नीचे दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फँसाकर रखें फिर दायें पैर को घुटने से मोड़कर छाती से सटा लें, एड़ी कूल्हों के करीब आ जाये । सीना तानकर रखें । अब दाहिने पैर को आगे फैलायें और मोड़ें, ऐसा 10 बार करें । पैर को जमीन से स्पर्श न होने दें । फिर बायें पैर से भी ऐसा ही 10 बार कीजिए ।
विधिः3.
सर्वप्रथम पूर्व अथवा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके खड़े रहें। दोनों पैर अत्यंत पास भी न रखें और अत्यंत दूर भी न रखें। अब दोनों पैरों के पंजों को उत्तर-दक्षिण की ओर रखें। हाथ ऊपर आकाश की सीधे रखें और धीरे-धीरे बैठते जायें। अत्यंत दर्द होता हो फिर भी नीचे बैठना जितना संभव हो उतना बैठने का प्रयत्न जरूर करें किंतु एकदम नीचे न बैठ जायें। फिर धीरे-धीरे खड़े हों। इस प्रकार सात-आठ बार नीचे बैठने और फिर खड़े होने का प्रयत्न करें।
लाभः
जोड़ों के वात में जिसे अंग्रजी में ‘आस्टियो-आर्थराइटिस कहते हैं उसमें यह कसरत लाभदायक है। रेती का सेंक, गरम कपड़े का सेंक, हॉट-वाटर बैग का सेंक इसमें लाभप्रद है।
सावधानीः
जोड़ों के दर्द वाले मरीज को कभी भी किसी योग्य वैद्य की सलाह के बिना तेल की मालिश नहीं करनी-करवानी चाहिए क्योंकि यदि जठराग्नि बिगड़ी हुई हो, कच्चा आम शरीर के किसी भाग में जमा हो, ऐसी स्थिति में तेल की मालिश करने से हानि होती है।
6. हाथों की उंगलियों के व्यायामः
सुखासन में बैठकर दोनों हाथों को कंधे की सीध में सामने की ओर फैला दें। अब दोनों हाथों की उंगलियों को यथासंभव तानिये, फैलाइये, जिससे उनमें इतना तनाव उत्पन्न हो जाये कि आप आसानी से सह सकें। इसके बाद हाथों को शिथिल कर सबसे पहले अँगूठों को अंदर की तरफ मोड़ें, फिर उंगलियों को भी मोड़कर मुटठी भीँच लीजिए और पुनः हाथों को शिथिल कर मुटठी खोल कर उंगलियों को अच्छी तरह फैलायें। ऐसा 10 बार करें।
7. कलाई के व्यायामः
सुखासन में बैठें। फिर दोनों हाथों को कंधे की सीध में फैला दें। अब अँगूठे अंदर की ओर रखते हुए मुटठी बाँधकर कलाई से आगे के भाग को परस्पर विपरीत दिशा में अंदर की ओर व बाहर की ओर 10-10 बार गोलाकार घुमायें । इस बात का ध्यान रखें कि केवल कलाई में हलचल हो । हाथों में अनावश्यक हलचल न हो ।
8. कोहनी का व्यायामः
सुखासन में बैठें । फिर दोनों हाथों को सामने की ओर कंधे की सीध में फैला दें । हथेलियाँ ऊपर की ओर रहें, अब दोनों हाथों को कोहनी से मोड़कर उँगलियों से कंधे को स्पर्श करें, फिर सीधा फैला दें । (इस समय कोहनी छाती की सीध में और दृष्टि कोहनी पर केन्द्रित रखें) । ऐसा 10 बार करें । हाथ मोड़ने और फैलाने की क्रिया आरामपूर्वक करें, अनावश्यक खींचातानी न करें ।
9.कंधों का व्यायामः
सुखासन या प्रारम्भिक स्थिति में बैठें । अब दोनों हाथों को कोहनी से मोड़कर कंधों के समकक्ष इस प्रकार रखें कि उँगलियाँ कंधों को स्पर्श करें । अब दोनों हाथों की कोहनियों को आगे की ओर मिलाते हुए परस्पर विपरीत दिशा में अंदर की ओर व बाहर की ओर वृत्ताकार घुमायें । दोनों ओर से 10-10 बार करें ।
लाभः
यह व्यायाम उनके लिए लाभदायक है, जो ज्यादा लिखने, टाईपिंग, ड्राईंग आदि का काम करते हैं । यदि वे कुछ देर तक यह व्यायाम करें तो उनके हाथों का तनाव व दर्द दूर हो जाता है ।
10. पैरों के व्यायामः
सर्वप्रथम शवासन में लेट जायें फिर दायें पैर को ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठायें और घड़ी के काँटे की दिशा में तथा उसकी विपरीत दिशा में 10-10 बार गोलाकार घुमायें (घुमाते समय पैर सीधे तने रहें) । अब दूसरे पैर को भी इसी प्रकार 10-10 बार घुमायें । फिर दोनों पैरों को सटाकर रखते हुए करें । इस दौरान धड़ और सिर जमीन से सटे रहें ।
लाभः
नितंब की मांसपेशियों और कमर के स्नायुओं की मालिश हो जाती है । मोटापा कम होता है ।