भारत का युवा–वर्ग यह सूत्र अपना लें
मन को ऐसे ही दृश्य दिखाएँ कि मन भगवन्मय बने । सबमें नेत्रों के द्वारा देखने की, कानों के द्वारा सुनने की, नाक के द्वारा सूंघने की सत्ता उस सच्चिदानंद की है । उस सच्चिदानंद को सबमें देखने का नित्य अभ्यास करें । ऐसा ही सत्साहित्य पढ़ें कि मन में ईश्वरप्राप्ति के, ईश्वरप्रीति के विचार आयें । किसीके भी प्रति कुदृष्टि न रखें । यदि भारत का युवा–वर्ग यह सूत्र अपना ले तो हर क्षेत्र में सफल हो सकता है ।
शाबाश ! भारत के नौजवानों, शाबाश !! आगे बढ़ो । संयमी व सदाचारी बनो । भारत की गौरवमयी गरिमा को पुनः लौटा लाओ । विश्व में पुनः दिव्य भारतीय संस्कृति की पताका फहरने दो ।
1 thought on “भारत का युवा–वर्ग यह सूत्र अपना लें”
बहुत सुंदर जानकारी