देवी-देवताओं के स्वरुप विविध क्यों ?
देवी-देवताओं के अलग-अलग रूप व उनकी विविध वेशभूषा उनके विशिष्ट गुण दर्शाते हैं । भगवान विष्णुजी सृष्टि के पालनकर्ता होने से चतुर्भुज रूप हैं । प्रलायकर्ता होने से भगवान शंकरजी का तीसरा नेत्र अग्निस्वरूप है । माँ सरस्वती विद्या की देवी होने से हाथों में वीणा–पुस्तक धारण किए हुए तथा मां काली दुष्टों की संहारक होने से गले में मुंडमाला पहने हुए दिखती हैं । गणपतिजी बुद्धिप्रदाता होने से बड़े सिरवाले तथा विघ्न–विनाशक होने से लंबी सूंडवाले हैं । ये सारा रूप–विविधताएं देवी–देवताओं के विशिष्ट दैवी गुणों को प्रकट करती हैं ।