मधुर व्यवहार
कुटुम्ब-परिवार में भी वाणी का प्रयोग करते समय यह आवश्य ख्याल में रखा जाय कि मैं जिससे बात करता हूँ वह कोई मशीन नहीं है, रोबोट नहीं है, लोहे का पुतला नहीं है मनुष्य है । उसके पास दिल है | हर दिल को स्नेह, सहानुभूति, प्रेम और आदर की आवश्यकता होती है । अतः अपने से बड़ों के साथ विनययुक्त व्यवहार, बराबरीवालों से प्रेम और छोटों के प्रति दया तथा सहानुभूति-सम्पन्न तुम्हारा व्यवहार जादुई असर करता है ।
जैसे जहाज समुद्र को पार करने के लिए साधन है, वैसे ही सत्य ऊर्ध्वलोक में जाने के लिए सीढ़ी है ।
व्यर्थ बोलने की अपेक्षा मौन रहना बेहतर है । वाणी की यह प्रथम विशेषता है ।
सत्य बोलना दूसरी विशेषता है ।
प्रिय बोलना तीसरी विशेषता है ।
धर्मसम्मत बोलना यह चौथी विशेषता है ।