अपना कर्तव्य मानकर बच्चे-बच्चियों की रक्षा करो
(मातृ-पितृ पूजन दिवसः 14 फरवरी)
जो बच्चे अपनी रक्षा नहीं कर सकते, कुकर्म करके खाली दिमाग हो जाते हैं, वे भविष्य में माँ-बाप की सेवा क्या करेंगे, देश की भी करेंगे और माँ-बाप की भी करेंगे। विदेशों में माँ-बाप बेचारे सरकारी वृद्धाश्रमों में पड़े रहते हैं। क्या आप चाहते हैं कि हमारे देश में भी माँ-बाप सरकारी वृद्धाश्रमों में पड़े रहते हैं। क्या आप चाहते हैं कि हमारे देश में भी माँ-बाप सरकारी वृद्धाश्रमों में, अस्पतालों में पड़े रहें ? नहीं। 14 फरवरी को बच्चे माँ-बाप का आदर करें तथा संयमी रहें और माँ-बाप अपने बच्चों को आशीर्वाद दें इसलिए मैंने (पिछले दस वर्षों से) यह ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ अभियान चलाया है। देश परदेश में लोग इस अभियान की प्रशंसा करते हैं और बहुत प्रसन्नता से सब जगह इस अभियान में जुड़ रहे हैं।
वेलेंटाइन डे जैसे डे मनाकर विदेशों में लोग परेशान हो रहे हैं। वह गंदगी हमारे भारत में आये, इससे पहले ही भारत की कन्याओं और किशोरों का कल्याण हो ऐसा वातावरण बनाना चाहिए।
इसकी क्या जरूरत है ?
अब तो वेलेंटाइन डे भी मनाते हैं और वेलेंटाइन नाइट और वेलेंटाइन सप्ताह भई चालू कर दिया संस्कृति भक्षकों ने। इसमें चॉकलेट डे जैसे सात-सात डे मनाकर गंदे कल्चर में हमारे बच्चों को गिराने की साजिश है। ये सब डे मनाने की क्या जरूरत है ?
परम भला तो इससे होगा ।
मातृ-पितृ पूजन दिवस – यह सच्चा प्रेम दिवस है। मैं तो चाहता हूँ कि माता-पिता के हृदय में स्थित भगवान प्रसन्नता छलकायें बच्चों पर। इससे माता-पिताओं का भी कल्याण होगा और बच्चे-बच्चियों का परम कल्याण होगा। अतः 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ। संतानें कितनी भी बुरी हों लेकिन उन बेटे-बेटियों ने अगर तुम्हारा पूजन कर लिया तो तुम आज तक की उनकी गलतियाँ माफ करने में देर नहीं कर सकते हो और तुम्हारा दिलबर देवता उन पर प्रसन्न होने और आशीर्वाद बरसाने में देर नहीं करेगा, मैं गारंटी से कहता हूँ ! चाहे ईसाई के बच्चे हों, वे भी उन्नत हों, ईसाई माता-पिता संतुष्ट रहें। मुसलमान, पारसी, यहूदी…. सभी के माता-पिता संतुष्ट रहें। किसके माता-पिता इसमें संतुष्ट होंगे कि ‘हमारे बेटे-बेटियाँ विद्यार्थीकाल में एक दूसरे को फूल दें और ‘आई लव यू…’ कह के कुकर्म करें और यादशक्ति गँवा दें ?’ किसी के माँ-बाप ऐसा नहीं चाहेंगे।
यह मेरी नहीं मान्यता की बदनामी है
मातृ-पितृ पूजन गणेश जी ने किया था और शिव-पार्वती का परमेश्वर तत्त्व छलका था। ललाट के भ्रूमध्य में ‘शिवनेत्र’ है ऐसा हम लोग बोलते हैं, उसी को आधुनिक विज्ञान ‘पीनियल ग्रंथि’ बोलता है। गणेश जी के शिवनेत्र पर शिवजी का स्पर्श हो गया। केवल शिवजी ही शिवजी नहीं हैं, तुम्हारे अंदर भी शिव-आत्मसत्ता है। तुम्हारा भी स्पर्श अपने बच्चे के लिए शिवजी का ही वरदान समझ लेना। इससे बच्चों का भला होगा, होगा, होगा ही ! और बच्चों के माँ-बाप के हृदय का भगवान भी प्रसन्न होगा।