पद्मासन
क्या आप सदैव प्रसन्न रहना चाहते हैं? अपना मनोबल व आत्मबल बढ़ाना चाहते हैं ? हाँ तो आप नित्य पद्मासन का अभ्यास कीजिये।
परिचयः
इस आसन में पैरों का आकार पद्म अर्थात कमल जैसा बनने से इसको पद्मासन या कमलासन कहा जाता है।
लाभः
इस आसन से मन स्थिर और एकाग्र होता है। पद्मासन के नित्य अभ्यास से स्वभाव में प्रसन्नता बढ़ती है, मुख तेजस्वी बनता है व जीवनशक्ति का विकास होता है। इससे आत्मबल व मनोबल भी खूब बढ़ता है। इस आसन से पेट व पीठ के स्नायु मजबूत बनते हैं व बुद्धि तीव्र होती है।
विधिः
बिछे हुए आसन पर बैठ जाएँ व पैर खुले छोड़ दें। श्वास छोड़ते हुए दाहिने पैर को मोड़कर बायीं जंघा पर ऐसे रखें कि एड़ी नाभि के नीचे आये। इसी प्रकार बायें पैर को मोड़कर दायीं जंघा पर रखें। पैरों का क्रम बदल भी सकते हैं। दोनों हाथ दोनों घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रहें व दोनों घुटने ज़मीन से लगे रहें। अब गहरा श्वास भीतर भरें। कुछ समय तक श्वास रोकें, फिर धीरे-धीर छोड़ें। ध्यान आज्ञाचक्र में हो, आँखें अर्धोन्मीलित हों अर्थात् आधी खुली, आधी बंद। सिर, गर्दन, छाती, मेरुदंड आदि पूरा भाग सीधा और तना हुआ हो।
प्रारम्भिक समयः
5 से 10 मिनट। धीरे-धीरे इसका समय बढ़ा सकते हैं। ध्यान, जप, प्राणायाम आदि करने के लिए यह मुख्य आसन है। इस आसन में बैठकर आज्ञाचक्र पर गुरु अथवा इष्ट का ध्यान करने से बहुत लाभ होता है।
रोगों में लाभः
यह आसन मंदाग्नि, पेट के कृमि व मोटापा दूर करने में लाभदाय़क है। इसका नियमित अभ्यास दमा, अनिद्रा, हिस्टीरिया आदि रोगों को दूर करने में सहायक है।
सावधानीः
कमजोर घुटनोंवाले, अशक्त या रोगी व्यक्ति जबरदस्ती हठपूर्वक इस आसन में न बैठें।