हलासन
क्या आप अपने शरीर को फुर्तीला बनाना चाहते हैं ? हाँ तो आप नित्य हलासन का अभ्यास कीजिए ।
परिचयः
इस आसन में शरीर का आकार हल जैसा बन जाता है, इसलिए इसे हलासन कहते हैं। यह आसन करते समय ध्यान विशुद्धाख्य चक्र में रखें ।
लाभः
युवावस्था जैसी स्फूर्ति बनाये रखने वाला व पेट की चर्बी कम करने वाला यह अदभुत आसन है। इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर बलवान व तेजस्वी बनता है और रक्त की शुद्धि होती है ।
विधिः
सीधे लेट जायें, श्वास लेकर भीतर रोकें। अब दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊपर ले जायें। पैर बिल्कुल सीधे, तने हुए रखकर पीछे सिर की तरफ झुकायें व पंजे जमीन पर लगायें। ठोढ़ी छाती से लगी रहे। फिर सामान्य श्वास-प्रश्वास करें। श्वास लेकर रोकें व धीरे-धीरे मूलस्थिति में आ जायें।
समयः
एक से तीन मिनट ।
रोगों में लाभः
इस आसन के अभ्यास से लीवर की कमजोरी दूर होती है। मधुमेह अर्थात् डायबिटीज़, दमा, संधिवात, अजीर्ण, कब्ज आदि रोगों में यह अत्यंत लाभदायक है। पीठ, कमर की कमजोरी दूर होती है, सिर एवं गले का दर्द तथा पेट की बीमारियाँ दूर होती हैं।