ऊर्जायी प्राणायाम
इसको करने से हमें विशेष ऊर्जा (शक्ति) मिलती है, इसलिए इसे ऊर्जायी प्राणायाम कहते हैं ।
विधि – पद्मासन या सुखासन में बैठ कर गुदा का संकोचन करके मूलबंध लगाएं । फिर नथुनों, कंठ और छाती पर श्वास लेने का प्रभाव पड़े उस रीति से जल्दी श्वास लें । अब नथुनों को खुला रखकर संभव हो सके उतने गहरे श्वास लेकर नाभि तक के प्रदेश को श्वास से भर दें । इसके बाद एकाध मिनट कुंभक करके बाँयें नथुने से श्वास धीरे-धीरे छोड़ें । ऐसे दस ऊर्जायी प्राणायाम करें । इससे पेट का शूल, वीर्यविकार, स्वप्नदोष, प्रदर रोग जैसे धातु संबंधी रोग मिटते हैं ।