भ्रामरी प्राणायाम
स्मरणशक्ति और बौद्धिक शक्ति बढ़ाने हेतु नित्य भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास चाहिए ।
परिचयः
स्मरणशक्ति तथा बौद्धिक शक्तियों को विकसित करने के लिए यह सर्वसुलभ व बहु-उपयोगी प्राणायाम है । इस प्राणायाम में भ्रमर अर्थात् भँवरे की तरह गुंजन करना होता है इसीलिए इसका नाम भ्रामरी प्राणायाम रखा गया है ।
लाभः
समृतिशक्ति का विकास होता है, ज्ञानतंतुओं को पोषण मिलता है, मस्तिष्क की नाड़ियों का शोधन होता है ।
विधिः
पद्मासन में सीधे बैठ जायें । खूब गहरा श्वास लेकर दोनों हाथों की तर्जनी (अँगूठे के पासवाली) उँगली से अपने दोनों कानों के छिद्र बंद कर लें । कुछ समय श्वास रोके रखें । श्वास छोड़ते हुए होंठ बंद रखकर भौंरे (भ्रमर) की तरह ‘ॐ’ का दीर्घ गुंजन करें ।
ध्यान दें-
आँखें और होंठ बंद रहें । ऊपर व नीचे के दाँतों के बीच आधे से एक सेंटीमीटर का फासला रहे ।
विशेषः
इसके नियमित अभ्यास द्वारा यादशक्ति व बुद्धिशक्ति का विकास किया जा सकता है । यह प्राणायाम प्रतिदिन पाँच से दस बार करें ।