ब्रह्मचर्य- रक्षा व १४० प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा का उपाय : स्थलबस्ती
सुबह खाली पेट दक्षिण या पूर्व की तरफ सिर करके सीधे लेट गये | श्वास बाहर निकाल दिया और मल- त्याग करने की इन्द्रिय (गुदा) का संकोचन- विस्तारण किया | एक बार श्वास बाहर रोक के करने से ३५ बार हो जाता है । ऐसे ३ बार करेंगे तो करीब १०० बार हो जायेगा | इसे ‘स्थलबस्ती’ कहते हैं ।
८० प्रकार के वायुदोष होते हैं, ४० प्रकार की पित्त- संबंधी बीमारियाँ और २० प्रकार की कफ संबंधी बीमारियाँ होती हैं |
‘स्थलबस्ती’ से १४० प्रकार की बीमारियाँ निकट नहीं आती हैं, अगर हैं तो भाग जाती हैं | जिसके कंधे जकड़े रहते हैं, जोड़ों में दर्द रहता हैं, शरीर जकड़ा रहता हैं वह भी स्थलबस्ती करे तो उसको भी आराम मिलेगा | इसे करने से भक्ति में भी बरकत आयेगी, व्यक्तित्व का प्रभाव भी बढ़ेगा, मन भी प्रसन्न रहेगा, कब्जियत भाग जायेगी और स्वप्नदोष, विर्यक्षय आदि रोग मिट जायेंगे |