वरुण मुद्रा
विधि – मध्यमा अर्थात सबसे बड़ी उँगली के मोड़ कर उसके नुकीले भाग को अँगूठे के नुकीले भाग पर स्पर्श करायें। शेष तीनों उँगलियाँ सीधी रहें।
लाभः यह मुद्रा करने से जल तत्त्व की कमी के कारण होने वाले रोग जैसे कि रक्तविकार और उसके फलस्वरूप होने वाले चर्मरोग व पाण्डुरोग (एनीमिया) आदि दूर होते है।