मिल का आटा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
- आजकल बड़ी-बड़ी मिलों से बनकर आने वाले आटे का उपयोग अधिक होता है किंतु यह आटा खाने वाले के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है ।
- मिलों के आटे की अपेक्षा घरेलू मशीनों का आटा अच्छा रहता है लेकिन हाथ की चक्की द्वारा बनाया गया आटा सर्वोत्तम होता है ।
- आटे की मिलों में प्रतिदिन टनों की मात्रा में गेहूँ पीसा जाता है । अतः इतने सारे गेहूँ की ठीक से सफाई नहीं हो पाती । फलतः गेहूँ के साथ उसमें चूहों द्वारा पैदा की गयी गंदगी तथा गेहूँ में लगे कीड़े आदि भी घिस जाते हैं ।
- साधकों के लिए इसे शुद्ध एवं सात्त्विक अन्न नहीं कहा जा सकता । इसलिए जहाँ तक हो सके गेहूँ को साफ करके स्वयं चक्की में पीसना चाहिए और उस आटे को सात दिन से अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए क्योंकि आटा सात दिन तक ही पौष्टिक रहता है ।
- सात दिनों के बाद उसके पौष्टिक तत्त्व मरने लगते हैं । इस प्रकार का पोषकतत्त्वविहीन आटा खाने से मोटापा, पथरी तथा कमजोरी होने की सम्भावना रहती है ।